नई दिल्ली। दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसान नेताओं की बैठक जारी है. कृषि कानूनों पर सरकार और किसान नेताओं की चौथे दौर की बातचीत को 3 घंटे से ज्यादा का समय हो गया. इस मैराथन बैठक के दौरान लंच ब्रेक भी हुआ. इस दौरान किसान नेताओं ने सरकार की खातिरदारी मंजूर नहीं की और अपना खाना मंगाकर खाया.
किसान नेताओं के लिए खाना सिंधु बॉर्डर से सफेद रंग की एंबुलेंस में पैक होकर आया था. सिंधु बॉर्डर पर लगे लंगर से किसान नेताओं के लिए खाना पहुंचा. किसान नेताओं ने पहले ही मन बना लिया था कि सरकार का खाना स्वीकार नहीं करेंगे. आपको बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 8 दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वहीं, सरकार किसानों को समझाने में जुटी है. सरकार का कहना है कि कृषि कानून किसानों के पक्ष में है.
आज की बैठक में किसान नेताओं की तरफ से कविता तालुकदार अकेली महिला हैं. कविता एक सोशल एक्टिविस्ट हैं और इस आंदोलन की सेंट्रल कोऑर्डिनेशन कमिटी की मेंबर भी हैं. इस चर्चा में किसान नेताओं का प्रतिनिधित्व करते हुए कविता ने जबरदस्त दलीलें दी हैं.
बैठक में कविता के सवालों ने कृषि मंत्रालय के पदाधिकारियों के पसीने छुड़ा दिए. कविता ऑल इंडिया किसान संयुक्त समिति की भी सदस्य हैं. सरकार के जवाब के बाद किसान नेताओं ने पूछा कि सरकार आखिर क्यों गोल-गोल चक्रों में घूम रही है.
सरकार और किसानों नेताओं की बातचीत दोपहर 12 बजे शुरू हुई. किसानों की ओर से MSP पर अपनी मांग रखी गई. किसानों ने अपनी ओर से दस पन्नों का खाका पकड़ाया. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कुल दस पन्नों का खाका सरकार को सौंपा गया.
एंबुलेंस से आया किसानों के लिए खाना
किसानों की ओर से कृषि सचिव को खाका सौंपा गया, जिसमें 5 मुख्य बिंदु हैं. APMC एक्ट में 17 प्वाइंट पर असहमति है, एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में 8 प्वाइंट पर असहमति है. इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में 12 प्वाइंट पर असहमति है.