भोपाल। मप्र हाईकोर्ट ने अभिभावकों को राहत देते हुए कोरोना खत्म होने तक निजी स्कूलों को केवल ट्यूशन फीस ही लेने का आदेश दिया है। आदेश के मुताबिक निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा अन्य किसी मद में फीस नहीं वसूलेंगे। एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव व जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में स्कूलों के शिक्षकों सहित अन्य स्टाफ को भी राहत दी है।
बेंच ने कहा है कि शिक्षकों व स्टाफ का वेतन 20 फीसदी से ज्यादा नहीं काटा जा सकेगा। इसके अलावा महामारी समाप्त होने के बाद काटी की गई सैलरी भी शिक्षकों को देना होगी। कोर्ट ने 10 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने के बाद 6 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
यह है मामला
कोरोना संक्रमण के बीच निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस ली जा रही थी। इसे लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपाण्डे, रजत भार्गव की ओर से जनहित याचिका दायर की गई। इसमें बताया गया कि हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ और और जबलपुर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने फीस वसूली को लेकर दो अलग-अलग आदेश दिए हैं। इसके चलते विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई निजी अभी भी मनमानी फीस वसूल रहे हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई पर तर्क
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिए कि प्रदेश भर में निजी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। बावजूद, भारी भरकम ट्यूशन फीस अभिभावकों से वसूल रहे हैं, जबकि ऑनलाइन क्लास से छात्र-छात्राओं की आंखों और दिमाग पर अतिरिक्त जोर पड़ने से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। वहीं, अन्य याचिका में भौतिक क्लास की अनुमति पर ऑनलाइन क्लास संचालन को गलत ठहराया गया था। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद 6 अक्टूबर को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया गया।
फैसले के पक्ष में प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन
एसोसिएशन ऑफ अन -एडेड प्राइवेट स्कूल्ज मध्य प्रदेश के अध्यक्ष अनुपम चौकसे ने बताया ही हमारी एसोसिएशन के सभी सदस्य प्रारम्भ से ही केवल ट्यूशन फीस ही ले रहे हैं। सभी विद्यार्थियों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा की माननीय उच्च न्यायालय के अपने फैसले में सभी पक्षों का ख्याल रखा है, किन्तु बकाया फीस (जो लॉक डाउन की अवधी में नहीं ली जा रही है ) कब और कैसे ली जावेगी इस बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं दिए हैं। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष विनी राज मोदी ने सभी पालकों से अपील करते हुए आशा व्यक्त की कि माननीय उच्च न्यायालय के इस बहुप्रतिक्षित निर्णय के बाद सभी पालक स्कूल फ़ीस जमा करने हेतु आगे आएंगे। स्कूल एवं पालकों के मध्य चल रहा गतिरोध अब समाप्त होंगे। साथ ही उनका कार्य सुचारु रूप से चल सकेगा ।