इंदौर। महू के बाद अब इंदौर में बड़ा राशन घोटाला उजागर हुआ है। राशन दुकान संचालकों ने अफसरों से मिलीभगत कर 51 हजार गरीब परिवारों के हक का करीब ढाई लाख किलो से ज्यादा अनाज बांटा ही नहीं। यह राशन कोरोनाकाल में आया था। कलेक्टर ने बताया कि तकरीबन 80 लाख रुपए का घोटाला हुआ है।
इस घोटाले में सरकारी राशन दुकानदार भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहीगुडे के खिलाफ रासुका की कार्रवाई की जाएगी। वहीं, निलंबित खाद्य अधिकारी आरसी मीणा सहित 31 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है।
यह है पूरा मामला
कलेक्टर मनीष सिंह ने मंगलवार को बताया कि भरत दवे और प्रमोद दहीगुडे के साथ इनके परिचितों के बारे में शिकायतें मिली थीं। इनके द्वारा संचालित शासकीय उचित मूल्य दुकानों में या तो सामग्री दी ही नहीं जा रही या फिर कम वितरित हो रही है। इस पर 12 दुकानों को चिन्हित किया गया। 12 जनवरी को इन पर टीम ने दबिश देकर रिकार्ड एवं पीओएस मशीन जब्त कीं। उसी दिन टीम ने इन दुकानों में संग्रहित राशन सामग्री का भौतिक सत्यापन किया। जांच में अप्रैल 2020 से ही खाद्यान्न, शक्कर, नमक, दाल और केरोसिन की मात्रा कम या ज्यादा मिली। कई अनियमितताएं और भी पाई गईं। इस पूरे मामले में मास्टरमाइंड भरत दवे पर्दे के पीछे रहकर अपने रिश्तेदारों और परिचितों के नाम से राशन दुकानें संचालित कर सरकारी अनाज की हेराफेरी कर रहा था।
51 हजार परिवारों के राशन पर डाका
टीम ने जब दुकानों का रिकार्ड देखा तो इसमें गेहूं 185625 किलो, चावल 69855 किलो, नमक 3169 किलो, शक्कर 423 किलो, चना दाल 2201 किलो, साबुत चना 1025 किलो, तुअर दाल 472 किलो, केरोसीन 4050.5 लीटर में गड़बड़ी मिली। माफियाओं ने 185625 किलो गेहूं और 69855 किलो चावल कुल मिलाकर 255480 किलो खाद्यान्न जिसकी कीमत 79,04,479 रुपए है, का गबन किया। प्रति व्यक्ति 5 किलो के मान से माफियाओं ने 51096 हितग्राहियों को राशन से वंचित किया। इसके अतिरिक्त मिट्टी का तेल (केरोसिन), नमक, शक्कर, चना दाल, साबुत चना, तुवर दाल में भी गबन किया। इन्होंने गरीबों को उचित जानकारी नहीं होने पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का राशन वितरित ही नहीं किया। ये सिर्फ मात्र हर महीने मिलने वाला राशन ही देकर उपभोक्ताओं का बायोमेट्रिक सत्यापन पीओएस मशीन में कर दे रहे थे। गरीबों का राशन बचा कर बाजार में बेच रहे थे।