भोपाल : उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप पीड़ित की मौत के बाद पुलिस और प्रशासन ने परिवार को बिना बताए उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। अब मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी वही कहानी दोहराई गई है। यहां प्यारे मियां यौन शोषण मामले में पीड़ित लड़की की मौत के बाद पुलिस गुरुवार को गुपचुप तरीके से उसका अंतिम संस्कार कराने की तैयारी में थी। पुलिस पीड़ित का शव लेकर श्मशान पहुंच भी गई थी। लेकिन, ऐन वक्त पर परिवार के लोगों का तीखा विरोध देखकर पुलिस परिवार को श्मशान लेकर गई। इधर भोपाल के DIG इरशाद वली ने दावा किया है कि अंतिम संस्कार परिवार की सहमति से ही हुआ है। इस पूरी घटना से सीएम शिवराज बहुत नाराज हुए और अफसरों को जमकर फटकार लगाकर एसआईटी से जांच करवाने का ऐलान किया।
प्यारे मियां यौन शोषण केस की पीड़ित पिछले छह महीने से बालिका गृह में रह रही थी। नींद की गोलियों के ओवरडोज से उसकी मौत हुई। पीड़ित की मां का कहना है, ‘मेरी बेटी तो चली गई। अब जांच से क्या होगा? अब किसके लिए इंसाफ चाहिए? हमने केवल एक घंटे के लिए शव घर लाने की इजाजत मांगी थी। लेकिन, पुलिस और प्रशासन ने आखिरी बार बेटी को जी भर के देखने का मौका भी नहीं दिया।’
पीड़ित की मां बोलीं- हमसे जबर्दस्ती साइन कराए
पीड़ित की मां ने आरोप लगाया, ‘पुलिस ने हमसे कहा कि शव को घर ले जाना है, तो पोस्टमॉर्टम के फाॅर्म पर साइन कीजिए। हमने उन पर भरोसा करके साइन कर दिए। बाद में पता चला कि बेटी का अंतिम संस्कार करने ले जा रहे हैं। मैं आखिरी बार बेटी के घर आने की राह देखती रही। लेकिन, पुलिस ने जिंदगी भर का दर्द दे दिया।’
पुलिस ने कहा था- बॉडी घर जाने पर दंगा हो सकता है
पीड़ित की मां ने कहा, ‘मेरी बेटी बिना कसूर के छह महीने से दूर थी। उसे बालिका गृह में रखा गया था। परिवार की किसी महिला तक को उससे मिलने नहीं दिया गया। जब वह नहीं रही, तब भी धोखा हुआ। पहले हमें भरोसा दिलाया कि बॉडी घर आएगी। पोस्टमॉर्टम के बाद अफसर बोले कि बॉडी सीधे श्मशान जाएगी। घर पर शव ले जाने पर दंगा हो सकता है।’
महिलाओं को बस में भरकर श्मशान ले गई पुलिस
हमीदिया अस्पताल में मौजूद पीड़ित के परिवार ने जब पुलिस के इस रवैये का विरोध किया, तो महिला पुलिस पीड़ित के घर पहुंची। घर पर मौजूद महिलाओं को पुलिस बस में बैठाया गया। उन्हें हमीदिया अस्पताल ले जाने की बात कहकर भदभदा श्मशान घाट ले जाया गया। महिलाओं ने इस पर आपत्ति जताई, तो पुलिस ने उन्हें डपट दिया। डरी-सहमी महिलाएं पुलिस का विरोध नहीं कर सकीं और आखिरी बार बेटी को घर लाने की मां की इच्छा सिसकियों के बीच दबी रह गई।