नरसिंहपुर। जिले के चीचली थानांतर्गत एक गांव में सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता की तीन दिन तक रिपोर्ट नहीं लिखी गई तो उसने शुक्रवार को सुबह घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मामले में लापरवाही बरते जाने पर दो पुलिसकर्मियों समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
एएसपी राजेश तिवारी और गाडरवारा के एसडीओपी सीताराम यादव को पुलिस मुख्यालय भोपाल अटैच कर दिया गया है। रिपोर्ट न लिखने और लापरवाही बरतने के कारण चिचली थाना प्रभारी अनिल सिंह और गोटिटोरिया चौकी प्रभारी मिश्रीलाल कुड़ापे को भी गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, दुष्कर्म के तीन मुख्य आरोपी परसू, अरविंद, अनिल के साथ ही पीड़िता को आत्महत्या के लिए प्रेरित करने वाले दो अन्य को भी गिरफ्तार किया गया है।
इससे पहले थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज को शुक्रवार को रात ही निलंबित कर दिया गया था। मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान के एक्शन में आने के बाद ये कार्रवाई की गईं। महिला के पति का आरोप है कि उसकी पत्नी के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। इसकी रिपोर्ट लिखाने के लिए 3 दिन से पुलिस के चक्कर लगा रहे थे। आरोपितों को गिरफ्तार करने की जगह उन्हें ही लॉकअप में डाल दिया गया था।
28 सितंबर को हुआ सामूहिक दुष्कर्म
पति ने एसडीओपी गाडरवारा सीताराम यादव को बताया कि उसकी पत्नी 28 सितंबर को गांव स्थित खेत में चारा काटने गई थी। जहां पर परसू, अरविंद और अनिल नाम के तीन लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। घर आने पर पत्नी ने घटना के बारे में बताया। सभी रात को ही गोटिटोरिया पुलिस चौकी पहुंचे, जहां उनसे आवेदन लेकर सुबह मेडिकल कराने की बात कही गई। आरोप है कि जब दूसरे दिन 29 सितंबर को वे चौकी पहुंचे तो उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई।
30 सितंबर को वह चीचली थाना पहुंचे, जहां उनकी फरियाद सुनने के बजाय पुलिसकर्मियों ने महिला के पति, जेठ को ही लॉकअप में बंद कर दिया। पीड़िता के साथ गाली-गलौज की गई। आरोप है कि महिला के परिजन को छोड़ने के एवज में पुलिस ने उनसे रुपए लिए। इससे व्यथित महिला ने आत्महत्या कर ली।
मामला संज्ञान में आने के 18 घंटे में आरोपी गिरफ्तार
एसपी अजय सिंह ने भास्कर को बताया कि मामले में दुष्कर्म के आरोपी तीन लोग, आत्महत्या के लिए उकसाने वाले दो अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, पीड़िता की रिपोर्ट नहीं लिखने और लापरवाही बरतने वाले चिचली थाना प्रभारी और गोटिटोरिया चौकी प्रभारी को भी गिरफ्तार किया गया है। उन पर क्रिमिनल लॉ की धारा 166-ए लगाई गई है। जिसके अनुसार अगर कोई पुलिस अधिकारी महिला की एफआईआर नहीं लिखता है तो उसके खिलाफ एफआईआर की जाती है। मामला संज्ञान में आने के बाद हमने 18 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।