शाहपुर कॉलेज में राष्ट्रीय कार्यशाला में हुआ विचार मंथन
शासकीय महाविद्यालय शाहपुर में आई क्यू ए सी के मार्गदर्शन में स्वामी विवेकानंद कैरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ एवं एकलव्य फाउंडेशन शाहपुर के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को एकदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आदिवासी स्कूली शिक्षा में स्वत्व एवं पहचान का पुनर्निर्माण एवं जनजातीय वर्ग हेतु स्वरोजगार के अवसर विषय पर वक्ताओं ने अपने विचार रखें। प्राचार्य प्रो एम डी वाघमारे ने बताया कि उक्त कार्यशाला का उद्देश्य आदिवासी संस्कृति का संरक्षण करते हुए शिक्षा के माध्यम से जनजातीय वर्ग को स्वरोजगार हेतु प्रेरित करना है। इस तरह की कार्यशाला विद्यार्थियों को अपनी जड़ों से जोड़ती है। कार्यशाला के संयोजक डॉ. शीतल चौधरी ने बताया कि मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. अमन मदान, अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी बेंगलुरू, मुख्य आकर्षण रहे।
प्रकृति की सहचर्य है आदिवासी संस्कृति- प्रो.अमन मदान
कार्यशाला को संबोधित करते हुए प्रो मदान ने कहा कि आदिवासी समाज की विशिष्ट पहचान बनाए रखने के लिए स्कूली शिक्षा में स्वत्व का समावेश परम आवश्यक है। आदिवासी संस्कृति प्रकृति की सहगामी व सहचर्य है अतः इसके उत्थान का प्रयास शिक्षा के माध्यम से हो।
प्रकृति के अनुकूल स्वरोजगार अपनाएं -निदेश सोनी
द्वितीय वक्ता के रूप में निदेश सोनी एकलव्य फाउंडेशन ने जनजातीय वर्ग हेतु स्वरोजगार के अवसर विषय पर प्रजेंटेशन के माध्यम से विचार व्यक्त किये। विद्यार्थियों को सेवानिवृत्त डाइट प्राचार्य पचमढ़ी सुश्री अर्चना गौर ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की भूमिका खेमप्रकाश यादव एकलव्य फाऊंडेशन, बैठक व्यवस्था डॉ सुभाष वर्मा, मंच संचालन डॉ ज्योति वर्मा, अतिथि परिचय डॉ नितेश पाल द्वारा दिया गया। कार्यशाला के दौरान विद्यार्थियों द्वारा वक्ताओं से प्रश्न भी पूछे गए। अंत में अतिथियों को महाविद्यालय द्वारा स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। इस कार्यशाला में लगभग 150 विद्यार्थी एवं समस्त महाविद्यालयीन स्टाफ उपस्थित रहा।
Author: papajinews
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