- ग्वालियर में एक दोस्त के साथ चोरी करने घुसा, जो जागता गया उसे मारते गए
- मौसी, मौसा और उनकी बेटी को मार डाला, दो गिरफ्तार
- पकड़ा गया आरोपी घोड़ा हवालात में बोला, साहब 3 लाख मिला, तीन हत्या और सिर चढ़ गईं
ग्वालियर. आखिरकार पुलिस ने 72 घंटे में ट्रिपल मर्डर का खुलासा कर दिया है। हत्या करने वाला कोई और नहीं मृतक का साढू का बेटा ही निकला है। अपने एक दोस्त के साथ मिलकर पूरी वारदात को अंजाम दिया है। दोनों चोरी करने घर में घुसे थे। जिसकी नींद खुलती गई, उसे मारते गए। एक-एक करके मौसा, मौसी और मौसेरी बहन को मौत के घाट उतार दिया। मास्टर माइंड भतीजा सचिन पाल समेत दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। दूसरा आरोपी तरुण झा उर्फ घोड़ा का चोरी का भी रिकॉर्ड होना पता चला है।
दोनों ने पुलिस को पूरी घटना बयां की है। पूरी प्लानिंग मृतक के भतीजे सचिन पाल ने बनाई थी। इसमें मोनू नाम के युवक का नाम भी आया था, लेकिन बाद में उसकी कोई भूमिका सामने नहीं आई है। पूरा खुलासा पुलिस को आए एक कॉल पर हुआ है। जिसमें कहा गया कि जिसे बाहर ढूंढ रहे हो वह हवालात में बैठा है। घोड़ा को उसी थाना पुलिस ने खुलासे से एक दिन पहले ही एक वारंट में पकड़ा था। तब पता भी नहीं था कि यह ट्रिपल मर्डर का खुलासा करेगा।
ऐसे खुला मामला
मुरार के अल्पना टॉकीज के पास रहने वाले जगदीश पाल (60), उसकी पत्नी सरोज और बेटी 11 वर्षीय कीर्ति पाल की हत्या कर दी गई थी। मास्टर माइंड जगदीश के साढू का बेटा सचिन पाल निकला है। हत्या के बाद पुलिस काफी हाथ पैर मार रही थी। तभी घटना स्थल के पास रहने वाले एक पड़ोसी ने पुलिस को आसान का क्लू दिया। उसने बताया कि मृतक के घर के सामने ही उसका साढू रहता है। साढू तो दिख रहा है, लेकिन उसका बेटा सचिन इतने बढ़े हत्याकांड के बाद भी नजर नहीं आ रहा। पुलिस ने सचिन और उसके दोस्त घोड़ा को गिरफ्तार किया। घोड़ा ने बताया कि शनिवार-रविवार दरमियानी रात लूट और चोरी के इरादे से ही घर में पीछे के रास्ते से दाखिल हुए थे। जब चोरी कर रहे थे तो सबसे पहले मौसी सरोज की नींद खुली।
उस पर चाकू से हमला कर दिया। फिर उसका तकिया से मुंह दबाकर हत्या की। इसके बाद मौसा और बहन की नींद खुल गई। मौसा की गला घोंटकर हत्या की। रात 2 बजे से सुबह 4.30 बजे तक कीर्ति पर कट्टा अड़ाकर घर में रखे गहनों के बारे में पूछते रहे। उसे मारने का प्लान नहीं था। पर जाते समय अचानक सचिन के चेहरे से साफी हट गई। जिससे उसकी पहचान हो सकती थी। इसलिए कीर्ति को भी तकिया से मुंह दबाकर मार डाला।
पहचान हो जाती, इसलिए हत्या करनी पड़ी
रात करीब 2 बजे घर में पीछे के रास्ते से दोनों दाखिल हुए। जब वारदात को अंजाम दे रहे थे तभी सचिन की मौसी सरोज की नींद खुल गई। उसने एक आरोपी के बाल पकड़ लिए। इसके बाद सचिन ने ही मौसी की चाकू मारकर हत्या की। घटना के बाद मृतका के हाथ में कुछ बाल भी फोरेंसिक टीम को मिले हैं। जब सरोज को चाकू मारे तो उसी कमरे में सो रहे जगदीश पाल और कीर्ति की भी नींद खुल गई। उन्होंने सचिन को पहचान लिया। इसके बाद उन दोनों के गले घोंटकर हत्या कर दी गई।
चेहरे से साफी नहीं हटती तो बच सकती थी जान
– कीर्ति की जान बच सकती थी, लेकिन उसकी किस्मत ठीक नहीं थी। जब दोनों आरोपी जा रहे थे तभी कमरे से निकलते समय सचिन के चेहरे से साफी हट गई। इसके बाद 11 साल की कीर्ति ने उसे पहचान लिया। दोनों बदमाश वापस लौटे और फिर उसको भी मार दिया।
बहन के घर छुपाया था माल
– पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की तो पता लगा कि उसने लूट का माल अपनी एक बहन के घर मुरार में ही छुपा दिया था। जब पुलिस उससे पूछताछ कर रही थी तो उसे अपने पकड़े जाने का मलाला था, लेकिन हत्या पर पछतावा नहीं था।
साहब, जिसे ढूंढ रहे हो वह तो हवालात में बैठा है
– जब पुलिस ट्रिपल मर्डर के आरोपियों की तलाश कर रही थी। तभी ASP राजेश डंडौतिया को एक कॉल आया। मुखबिर ने बताया कि साहब, जिस ताले को खोलना चाह रहे हो उसकी चाबी पहले से ही थाने में रखी है। उसका इशारा घोड़ा पर था। जिसे पुलिस ने एक दिन पहले पुराने वारंट में पकड़ा था। उस समय पुलिस को पता भी नहीं था कि यही ट्रिपल मर्डर का सूत्रधार निकलेगा। इसके बाद पुलिस ने घोड़ा से कड़ी पूछताछ की तो वह टूट गया। इस पर आईजी ग्वालियर अविनाश शर्मा ने पूरी टीम को 30 हजार रुपए नकद पुरस्कार दिया है।