इंदौर। मेरे पति 6 दिन से सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भर्ती हैं। पति काे 50 फीसदी से ज्यादा संक्रमण है। मेरे घर तो वही अकेले हैं। उन्हें कुछ हो गया तो मैं कहां जाऊंगी। मैं तीन दिन से रेमडेसिविर इंजेक्शन लेने के लिए भटक रही हूं। हम दिनभर धूप में लाइन में खड़े रहते हैं और ये हमें पागलों की तरह खदेड़ते हैं। हमें जानवर कहते हैं। क्या करें मजबूर हैं, इसलिए बर्दाश्त कर रहे हैं। हमारी कोई सुनने वाला नहीं है।
यह दर्द साेशल वर्कर करुणा रघुवंशी का है, जिनके पति अस्पताल में हैं और वे इंजेक्शन के भूखे -प्यासे दिनभर दर-दर भटक रही हैं। वह कहती हैं- शुक्रवार को भी मैं सड़क पर बैठी रही, पुलिस से भिड़ती रही। पुलिसवाले जेल में डालने की धमकी देते रहे। ब्लैक में 16 से 20 हजार रुपए में इंजेक्शन बेचा जा रहा है… हम कहां से इतना इंतजाम करें।
यह दर्द केवल करुणा की नहीं है, यहां सैकड़ों की संख्या में खड़े उन सभी लोगों की है जो अपनों को बचाने के लिए 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच कड़ी धूप में लाइन में खड़े हैं।
करुणा रघुवंशी ने बताया कि कल मुझे पता चला था कि सरकारी अस्पताल के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज में 2000 डेज आए हैं। सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के अधीक्षक ने हमें बताया कि उनके अस्पताल को 200 डोज मिले हैं। इस इंजेक्शन के लिए किसी प्रकार से कोई चार्ज नहीं देना होगा। इस पर मैंने अपने पति की एंट्री करवाई, बेड नंबर बताया। उन्होंने आश्वासन दिया कि इंजेक्शन उन्हें लग जाएगा। जब मैंने रात में पति से बात की तो वे बोले कि काेई डोज नहीं लगा है। इस पर मैंने कहा कि सुबह लगाएंगे शायद। सुबह 8 बजे और फिर साढ़े 10 बजे अस्पताल में बात की तो डोज नहीं होने का बताया और कहा कि बाजार से लेकर आओ। इसके बाद मैं फिर से दवा बाजार में इंजेक्शन के लिए लाइन में लगी, लेकिन यहां भी इंजेक्शन का अता-पता नहीं हैं। मैं पूछती हूं कि आखिर हो 200 डोज कहां गए।
16 से 20 हजार रुपए में बिक रहे इंजेक्शन
करुणा ने कहा कि कहीं कोई इंजेक्शन नहीं मिला रहा है। हां मिल रहे हैं, लेकिन ब्लैक में। मेरे सामन लोगों ने 16000 रुपए में ब्लैक में इंजेक्शन खरीदा है। मुझे भी ऑफर दे रहे हैं, लेकिन मेरी कैपेसिटी इतनी नहीं है। वो बंदा अपना एड्रेस नहीं दे रहा है, नहीं तो मैं उससे पता करूं कि आखिर वह लेकर कहां से आ रहा है। तीसरे व्यक्ति के जरिए बात कर रहा है। कल की बात है एक पुलिस के जाने के बाद एक व्यक्ति आया उसने मुंह में कपड़ा बांध रखा था। उसने इंजेक्शन के बारे में पूछा। इस पर पास बैठे एक व्यक्ति ने कहा कि उसे 6 इंजेक्शन चाहिए। इस पर उसने कहा कि उसके पास एक ही है और उसके लिए 20 हजार रुपए लगेंगे। उसने रात में 8 बजे रुपयों का इंतजाम किया और मजबूरी में इंजेक्शन खरीदा और पेशेंट को लगवाया। उसने यह बात हमसे रो-रोकर कही। हम मिडिल क्लास लोग हैं, इतना खर्च कैसे वहन करें।
पिछले 4 दिनों से ऐसे ही बने हुए हैं हालात
रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत शनिवार को भी बरकरार रही। लोग दवा बाजार पहुंचे। इंजेक्शन नहीं मिले तो लोग आक्रोशित हो गए और हंगामा किया। स्थिति बिगड़ते देख मौके पर पुलिस बल पहुंचा। दवा बाजार के बाहर सड़क तक लोग जमा हो गए। कुछ देर के लिए स्थिति चक्काजाम सी हो गई। लोगों ने जमकर नारेबाजी की और शासन-प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्यक्ति किया। लोगों की भीड़ बढ़ती देख दवा बाजार के गेट भी बंद कर दिए गए। दरअसल, दवा बाजार के बाहर इंजेक्शन के लिए लोग अलसुबह बजे से ही पहुंच गए थे। हालांकि इंजेक्शन नहीं मिलने पर इस पर लोग खासे नाराज हो गए। सुबह से शाम तक लोग इंजेक्शन के लिए इंतजार कर रहे हैं। वहीं, दवा बाजार व्यापारियों ने स्टॉक नहीं होने की बात कही है।
कंपनियों ने उत्पादन तेज किया
रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत के बीच थोड़ी राहत की खबर ये है कि सभी कंपनियों ने इसका उत्पादन तेज कर दिया है। रविवार तक ही इंदौर में इसके एक हजार डोज आ जाएंगे। इसके बाद धीरे-धीरे सप्लाय बढ़ेगी। रेमडेसिविर बनाने वाली कंपनी जुबिलेंट फार्मा, हेटेरो लैब्स, कैडिला, सिप्ला और मायलान फार्मा के डिस्ट्रिब्यूटर मनोज राय का कहना है कि इंजेक्शन की मांग कम होने पर इन कंपनियों ने 70 फीसदी तक उत्पादन कम कर दिया था। डॉ. रेड्डी और ग्लेनमार्क ने तो उत्पादन बंद ही कर दिया। जुबीलेंट फार्मा 10 अप्रैल को 25 हजार डोज जारी करने वाली थी, लेकिन किसी वजह से ये अटक गया। अब 10 हजार डोज जारी हो रहे हैं, जिनमें से 5 हजार महाराष्ट्र को मिलेंगे, बाकी 5 हजार अन्य राज्यों में जाएंगे। एक हजार मप्र को मिलेंगे। बाकी कंपनियों के इंजेक्शन 10 दिन में पर्याप्त मात्रा में मिलेंगे। 20 अप्रैल तक स्थिति सामान्य होने के आसार हैं।